पाठ से

अंग्रेजों से लड़ने के लिए कोया आदिवासी क्या-क्या करते थे?


श्रीराम राजू के समझाने पर कोया आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया। भद्राचलम से परवथीपुरम तक पूरे इलाके आदिवासी अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए कूद पड़े। जब संकरी पगडंडियों से सेना की टुकड़ी गुजर रही होती तो जंगलों में छिपे आदिवासी अंग्रेज सारजेंट और कमांडर पर अचूक निशाना लगाते। राजू ने एक कोने से दूसरे कोने तक गुप्त संदेश पहुंचाने के लिए जाल बिछा रखा था। जंगलों में आदिवासी बड़ी तेजी से छिपते फिरते। गांव के लोग भी उनका सहयोग करते और उन्हें छिपने के लिए जगह देते। वे अंग्रेजों को मारकर उनके हथियार छीन लेते थे।


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